Tuesday, December 18, 2018

कांग्रेस की 3 सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए

कांग्रेस ( ) की तीनों सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होकर बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ( ) ने दूरी बनाई तो उनके नए सहयोगी बने सपा मुखिया अखिलेश यादव (  ) ने भी आमंत्रण के बावजूद शिरकत नहीं की। सपा-बसपा के इस कदम को सीधे सीधे यूपी में बनने वाला गठबंधन के दाव-पेच के रूप में देखा जा रहा है।
यह दोनों नेता इससे पहले दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पहल पर एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों की बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। वैसे तो मध्य प्रदेश की सरकार के बहुमत की कमी को पूरा करने के लिए बसपा व सपा ने समर्थन दिया है लेकिन यह फैसला मजबूरी का ही दिखता है। इन दोनों पार्टी के तीन विधायक सरकार की स्थिरता के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। पर इसके बावजूद बसपा का कांग्रेस के प्रति आक्रामक रवैये में फिलहाल बदलाव नहीं दिखता है। मायावती ने तो हाल ही में इन राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा व कांग्रेस को एक जैसा बताते हुए इनसे सावधान रहने को कहा था।
तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने व पार्टी का ग्राफ बढ़ने के बावजूद लगता नहीं कि यूपी में गठबंधन के वक्त कांग्रेस की अपेक्षाकृत ज्यादा सीटों की मांग पर गौर होगा। इस समय गठबंधन की कुंजी मायावती के हाथ हैं और समाजवादी पार्टी गठबंधन बनाने की हर मुमकिन कोशिश के तहत बसपा की राह पर चलती दिखती है।
जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बाद कांग्रेस के समर्थन से जद सेकुलर के नेता एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बने तब उनके शपथ ग्रहण समारोह में न केवल मायावती ने शिरकत की बल्कि उस वक्त वहां मौजूद सोनिया गांधी व मायावती के बीच खासी आत्मीयता पूर्ण मुलाकात भी हुई थी। इस आयोजन में तब अखिलेश यादव, पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत समेत विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। उस वक्त बसपा ने जद सेकुलर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन यूपी के हालात खासे जुदा हैं और बसपा कांग्रेस को बहुत भाव देने के मूड में नहीं दिखती है। उसे लगता है कि कांग्रेस से ज्यादा नजदीकी से उसके वोट बैंक में सेंध लग सकती है। यह वोट कांग्रेस को जा सकता है लेकिन बसपा अप्रत्याशित फैसले लेने के लिए भी जानी जाती रही है।
लोकसभा चुनावों (   ) के लिए बिहार ( ) में एनडीए ( ) के घटकों में सीटों की संख्या का बंटवारा तो हो गया है। लेकिन किस दल को कौन सी सीट मिलेगी, इसे लेकर अभी एक लंबी कसरत होनी बाकी है। सीटों के चयन की प्रक्रिया से बड़े बदलाव होने की संभावना है, जिसका सर्वाधिक असर बीजेपी ( ) के मौजूदा सांसदों के सीटों पर पड़ने की आशंका है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की सोमवार को शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद कमलनाथ (  ) ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ( ) द्वारा किये गये वादे के अनुरूप किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ (   ) करने को मंजूरी प्रदान कर दी।
मोबाईल फोन और बैंक खातों को फिर से आधार से जोड़ने की सुविधा होगी। हालांकि, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसके लिए दो कानूनों बैंकिंग एक्ट एवं प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन के मसौदे को मंजूरी दी।
कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की भर्ती परीक्षाएं जनवरी से शुरू हो जाएंगी। आयोग ने ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एजेंसी का चयन कर लिया है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की गई है पर चर्चा है कि आयोग ने परीक्षा कराने का जिम्मा टाटा कंस्लटेंसी सर्विस (टीसीएस) को सौंपा है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां पर्थ स्टेडियम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन सोमवार (17 दिसंबर) को 56 रन देकर छह विकेट लेने वाले भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अपनी सफलता का श्रेय सही लाइन और लैंथ के साथ गेंदबाजी करने को दिया है। यह शमी के टेस्ट में करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

Monday, December 3, 2018

البناء: لم نرشح الفياض لحقيبة الداخلية وعبد المهدي يرفض استبداله

أكد تحالف البناء، الأحد، أن فالح الفياض لم يُرشح من قبل التحالف لحقيبة وزارة الداخلية، مشيراً إلى أن هذا الترشيح تم من قبل رئيس مجلس الوزراء عادل عبد المهدي، ويرفض استبداله حتى اللحظة.

وقال القيادي في التحالف، رزاق الحيدري، في حديث خصّ به (بغداد اليوم)، إن "تحالف الفتح أو البناء بصورة عامة، لم يرشح الفياض لحقيبة وزارة الداخلية، وإنما هذا الترشيح تم من قبل رئيس الوزراء عادل عبد المهدي".

وأضاف الحيدري، أن "عبد المهدي مُصر عليه تولي الفياض للداخلية إلى هذه اللحظة، رغم رفض زعيم التيار الصدري مقتدى الصدر لهذا التوجه".

وأشار إلى أن "تحالف البناء أعطى الحرية الكاملة لعبد المهدي لاختيار وزراءه، وهو يمكنه الآن تغيير مرشح الداخلية بمرشح آخر، لكنه يصر على أن يكون الفياض وزيراً للداخلية".

وكان مجلس النواب قد منح، خلال الجلسة التي عقدها الخميس (25 تشرين الأول 2018)، الثقة لحكومة رئيس الوزراء عادل عبد المهدي، وصوت على اختيار 14 وزيرًا من التشكيلة الوزارية التي قدمها الأخير خلال الجلسة.

وامتنع مجلس النواب، عن التصويت على مرشحي وزارات، العدل، والثقافة، والتربية، والتخطيط، والتعليم العالي والبحث العلمي، والهجرة والمهجرين، والدفاع، والداخلية.

وكان الصدر قد اشترط، في وقت سابق، تسمية أشخاص تكنوقراط للوزارتين الأمنيتين، الداخلية والدفاع، أو ابقائهما بيد القائد العام للقوات المسلحة، عادل عبد المهدي، الذي يشغل المنصبين بالوكالة الآن.ردت وزارة التربية، اليوم الاحد، على تقرير بشأن وجود اخطاء في مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط.

وذكر بيان لوزارة التربية، في رد حول التقرير بخصوص كتاب مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط والاشكالية الموجودة فيه، تلقت (بغداد اليوم)، نسخة منه، أن "المديرية العامة للمناهج المديرية بينت مسألة طباعة الكتب التي عرض التقرير عليها، بقيام الوزارة بإعادة الكتب الدراسية سنوياً وهذا من واجباتها ان تقدم لأبنائها الطلبة كل عام كتاباً جديداً نظيفاً يليق به، لان الكتاب معرض للاستهلاك والعبث بالإضافة الى سوء الاستخدام، وهذا فرق بين اعادة الطبع وتألف الكتاب الذي يجهلهُ الكثيرون فالطباعة تختلف عن التأليف".

وأضاف البيان، أن "هذه الأخطاء التي لا تتعدى ان تكون مطبعية وملاحظات لتبسيط الحل وأخرى لغوية وفنية وهذا الامر يحصل في الكتب المدرسية في بعض الدول، حيث يتم وضع في نهاية كل كتاب مدرسي صفحتين فارغتين بيضاء تُخصص لتدوين الأخطاء والملاحظات ان وجدت من قبل المعنيين".

وتابع البيان، "اما فيما يخص كثرة الاسئلة العلمية حول موضوع المبرهنة والتمرين، فقد عمدت المديرية على وضعها لغرض توفير مهاره للطلاب في فهم العمليات الرياضية وهذه معايير عالية"، داعيةً جميع وسائل الاعلام المقروءة والمسموعة الى "توخي الدقة عند نشر الاخبار المتعلقة بالوزارة والتأكد من مصدرها حفاظاً على العملية التربوية ورصانتها".

وكانت وزارة التربية قد حددت، أمس السبت، 01 كانون الأول، 2018، في وثائق الأخطاء في كتاب مادة الرياضيات للصف الثالث المتوسط طبعة 2018 الطبعة الاولى للمنهج، بعد طباعته وتوزيعه على طلاب المدارس في البلاد.

Wednesday, November 14, 2018

दवाइयों की ऑनलाइन ब्रिकी पर बन सकते हैं नियम

बिनी और सचिन बंसल ने साल 2007 में फ़्लिपकार्ट की शुरुआत की और पहले सिर्फ़ किताबें बेचने का फ़ैसला किया. दोनों ने 4 लाख रुपये पूंजी के साथ कंपनी शुरू की. शुरुआती काम था किताबों की होम डिलिवरी. वो मालिक भी ख़ुद थे और कर्मचारी भी.
बिनी और सचिन बंसल ख़ुद किताबें ख़रीदते और वेबसाइट पर आए ऑडर्स पर अपने स्कूटर से डिलीवरी करते. कंपनी के पास प्रचार के भी खास साधन नहीं थे इसलिए दोनों बुक स्टोर्स के पास जाकर अपनी कंपनी के पर्चे भी दिया करते थे.
​धीरे-धीरे कंपनी ने कदम बढ़ाने शुरू किए. इसके बाद दोनों ने साल 2008 में बैंगलुरू में एक फ्लैट और दो कंप्यूटर सिस्टम के साथ अपना ऑफिस खोला. अब उन्हें हर दिन करीब 100 ऑर्डर मिलने लगे.
इसके बाद फ़्लिपकार्ट ने बेंगलुरू में सोशल बुक डिस्कवरी सर्विस 'वीरीड' और 'लुलु डॉटकॉम' को ख़रीद लिया.
साल 2011 में फ़्लिपकार्ट ने कई और कंपनियां खरीदीं जिनमें बॉलीवुड पोर्टल चकपक की डिजिटल कंटेट लाइब्रेरी भी शामिल थी.
ऑनलाइन सामान लेते वक़्त कई लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थीं. सामान की गुणवत्ता से लेकर उसकी डिलिवरी की टाइमिंग तक. ये सब सोचते हुए लोग ऑनलाइन पेमेंट करने की बजाय कैश ऑन डिलिवरी का सुरक्षित विकल्प अपनाते हैं.
लेकिन, फ़्लिपकार्ट ने इसी मुश्किल को मौक़े में बदल लिया. बिनी और सचिन बंसल पहली बार भारत में कैश ऑन डिलिवरी का विकल्प लेकर आए. इससे लोगों को अपना पैसा सुरक्षित महसूस हुआ और कंपनी पर भरोसा भी बढ़ता गया.
साल 2008-09 में फ़्लिपकार्ट ने 4 करोड़ रुपये की बिक्री कर दी. इसके बाद निवेशक भी इस कंपनी की ओर आकर्षित हुए.
बिनी और सचिन बंसल मानते हैं कि ऑनलाइन ​रिटेल में कस्टमर सर्विस बहुत बड़ा फैक्टर है. वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता को दिए गए इंटरव्यू में सचिन बंसल और बिनी बंसल ने कहा था कि वो कंस्टमर सर्विस टीम के साथ दो-दो दिन बिताते हैं और उनकी सुझावों व शिकायतों पर काम करते हैं.
वहीं, कंपनी ने सर्च इंजन ऑप्टिमाइज़ेशन पर भी काम किया. इसका मतलब ये है कि जब कोई किताब ख़रीदने के लिए उसका नाम किसी सर्च इंजन में डालता तो सबसे ऊपर फ़्लिपकार्ट का नाम आता. इस कारण कंपनी को विज्ञापन भी मिलने लगे.
निवेश हर नई कंपनी के लिए बड़ी ज़रूरत होती है. शुरुआती दौर फ़्लिपकार्ट के लिए भी मुश्किलों भरा रहा. आगे चलकर कंपनी में साल 2009 में ऐसेल इंडिया ने 10 लाख डॉलर का निवेश किया जो साल 2010 में एक करोड़ डॉलर पहुंच गया.
इसके बाद 2011 में फ़्लिपकार्ट को एक और बड़ा निवेशक टाइगर ग्लोब मिला जिसने दो करोड़ डॉलर का निवेश किया. ऐसेल इंडिया और टाइगर ग्लोब लगातार फ़्लिपकार्ट के साथ जुड़े रहे.
वेबसाइट चल निकली तो किताबों के अलावा फर्नीचर, कपड़े, असेसरीज, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट जैसे सामान भी बेचे जाने लगे.
ई-कॉमर्स का बाज़ार बढ़ने के साथ फ़्लिपकार्ट को दूसरी कंपनियों से चुनौती मिलने लगी थी. इसी को देखते हुए उन्होंने कुछ ऑनलाइन रिटेल वेबसाइट को ख़रीदा.
फ़्लिपकार्ट ने 2014 में मिंत्रा और 2015 में जबॉन्ग को ख़रीद लिया. कंपनी स्नैपडील को भी ख़रीदना चाहती थी लेकिन बात नहीं बन पाई.
लेकिन, मार्च 2018 में ही वॉलमार्ट ने ​फ़्लिपकार्ट की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में ख़रीद ली.
दरअसल, कंपनी को अमेज़ॉन के भारत में आने के साथ ही चुनौती मिलनी शुरू हो गई थी. इस प्रतिस्पर्धा में उन्हें काफ़ी निवेश करना पड़ रहा था.
हालांकि, वॉलमार्ट के साथ अमेज़ॉन भी ​फ़्लिपकार्ट को ख़रीदने की रेस में शामिल थी लेकिन वॉलमार्ट आगे रही.
मार्च 2018 को ख़त्म हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 7.5 अरब डॉलर की बिक्री की थी. पिछले साल के मुक़बाले उसकी बिक्री में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी.

Monday, September 24, 2018

आज बहुत से लोग अपनी तकनीक को खुले

डेविड टालबोट कहते हैं कि, "आज बहुत से लोग अपनी तकनीक को खुले बाज़ार में उतारते हैं. वो इसे छुपा कर नहीं रखते. दूसरे लोग इस तकनीक को इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी कमियां बताते हैं. जिससे नई तकनीक में सुधार जल्दी हो जाता है. जो लोग अपने ईजाद किए हुए सिस्टम को छुपा कर रखते हैं, उनमें सुधार की गुंजाइश कम हो जाती है."
पिछले साल ही यांडेक्स ने मशीन लर्निगं लाइब्रेरी को लॉन्च किया था. हाल ही में यांडेक्स ने क्लाउड सर्विस शुरू की है.
इसकी मदद से दूसरी कंपनियाँ अपने टेक उत्पाद विकसित कर सकती हैं. जल्द ही यांडेक्स की अपनी भाषा पहचानने वाली तकनीक भी सार्वजनिक बाज़ार में उतारने वाली है.
रूस में यांडेक्स ख़ुद से चलने वाली कारों के कारोबार में भी सबसे आगे है. हाल ही में कंपनी ने ख़ुद से चलने वाली टैक्सी सेवा को रूस के तातारिस्तान इलाक़े में लॉन्च किया है.
तातारिस्तान की राजधानी कज़ान के उप-नगरीय इलाक़े इनोपोलिस में शुरू की गई इस सेवा का इस्तेमाल लोग बिना कार की स्टीयरिंग पर हाथ रखे कर सकते हैं.
ये गूगल की वेमो सेवा जैसी ही है. बस ये रूस में शुरू की गई है.
यांडेक्स में रूस के सबसे क़ाबिल आईटी एक्सपर्ट काम करते हैं. लेकिन ओल्गा मस्लिखोवा का कहना है कि रूस के शिक्षा संस्थानों से बहुत क़ाबिल लोग नहीं मिल पाते हैं. इसीलिए कंपनी अपने भविष्य के कर्मचारियों को ख़ुद की ट्रेनिंग दे रही है.
यांडेक्स ख़ुद के शिक्षण संस्थान चलाती है, जो बच्चों को बेसिक प्रोग्रामिंग सिखाते हैं. यांडेक्स स्कूल ऑफ़ डेटा एनालिसिस, सीनियर छात्रों और युवाओं को 2007 से ही मुफ़्त ट्रेनिंग देती है.
रूस की कई यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर भी यांडेक्स शिक्षा सेवाएं संचालित करती है.
यांडेक्स केवल युवाओं को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और आंकड़ों को समझने की ट्रेनिंग नहीं देती. ये आम लोगों को भी इनके इस्तेमाल और फ़ायदे सिखाती है.
यांडेक्स का टोलोका प्लेटफॉर्म लोगों को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के साथ-साथ पैसे कमाने का मौक़ा भी देता है. इसकी वेबसाइट पर आप सैकड़ों काम कर सकते हैं.
लोग अपनी क़ाबिलियत के हिसाब से कमाई भी कर लेते हैं. इसके लिए किसी डिप्लोमा की भी ज़रूरत नहीं होती.
जनता से यांडेक्स के सरोकार यहीं तक सीमित नहीं हैं. इसी साल यांडेक्स ने एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है. इसका नाम है नरोडनाया कार्टा.
इसका मतलब है जनता का नक़्शा. गूगल की ही तरह यांडेक्स की मैप सर्विस है. ये नरोडनाया कार्टा, इसी नक़्शे की एडिटिंग सर्विस है. इसकी मदद से लोग अपनी लोकेशन और इलाक़े के बारे में नई जानकारी डाल सकते हैं और यांडेक्स को अपनी मैप सेवा बेहतर करने में मदद कर सकते हैं. यानी ये जनता की मदद से नक़्शा बनाने का काम है.गल और एप्पल के पर्सनल असिस्टेंट की तरह ही यांडेक्स का भी एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस वाला पर्सनल असिस्टेंट है. इसका नाम है एलिसा.
आप को अगर पिज़्ज़ा ऑर्डर करना है तो स्मार्टफ़ोन का एक बटन दबाकर बस उसमें अपनी ख़्वाहिश जतानी होगी. पापा जॉन नाम की पिज़्ज़ा चेन ने इसके लिए यांडेक्स के साथ समझौता किया है.
मई 2018 में कंपनी ने यांडेक्स डायलॉग्स नाम की सेवा शुरू की है. इस में कोई भी आकर नए हुनर जोड़ कर एलिसा को बेहतर बनाने की कोशिश कर सकता है.
कंपनी की मैप सर्विस में कोई भी किसी भी जगह के साथ इमोजी डाल सकता है. इसके बड़े मज़ेदार नतीजे निकले. बहुत से लोगों ने राजधानी मॉस्को के हर इलाक़े के साथ 'पू' इमोजी डाल दी.
हाल ही में यांडेक्स ने यांडेक्स.ऑटोपोएट नाम की सेवा शुरू की है. ये एआई सर्विस मशहूर कवियों की तर्ज पर कविताएं लिखता है.
कंपनी ने इमोजी के अनुवाद की सेवा भी शुरू की है. इसमें मशहूर हॉलीवुड फ़िल्म लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स से चर्चित हुई एल्विश ज़बान का अनुवाद भी शामिल है.
यांडेक्स की एआई सर्विस संगीत की धुनें भी तैयार कर सकती है.  में एक क़ॉन्फ़्रेंस में एलेक्ज़ेंडर स्क्रियाबिन जैसा ही ऑर्केस्ट्रा यांडेक्स के एआई ने पेश किया था. ये मशहूर संगीतकार स्क्रियाबिन की सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा था.
कंपनी ने '1917-फ्री हिस्ट्री' नाम के एक सोशल मीडिया अभियान की भी मदद की है. इस प्रोजेक्ट ने रूस की क्रांति की 100वीं सालगिरह पर उस वक़्त के हालात लोगों को बताने की कोशिश की है.
यांडेक्स.मैप पर लोग एवरेस्ट से भी फोटो अपलोड कर सकते हैं. हाल ही में आर्केडी वोलोज़ ने कहा कि हमें एक पागल इंसान की फ़ौरन ज़रूरत है, जो हमारे पागलपन वाले प्रोजेक्ट्स की अगुवाई करे.
वो शायद ये बात मज़ाक़ में कर रहे थे. मगर उसमें भी एक क़िस्म की गंभीरता थी.
आज की तारीख़ में यांडेक्स ट्रांसलेशन, मैप सर्विस और दूसरी सेवाएं तो दे ही रही है. इसके अलावा ये आप के लिए खाना मंगा सकती है. टैक्सी मंगा सकती है. घर पर सिनेमा का लुत्फ़ लेने में मदद कर सकती है. आप को पढ़ने में मदद कर सकती है और ट्रेन पकड़ने में भी मददगार हो सकती है.
यानी आज यांडेक्स, रूस के लोगों की ज़िंदगी के हर क़दम की साथी बनने की कोशिश कर रही है.
हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो ये मानते हैं कि हमें, अपने प्रियजनों से ज़्यादा हमारे स्मार्टफ़ोन बेहतर जानते हैं. आज रूसी लोग बहुत ज़्यादा वक़्त ऑनलाइन दुनिया में बिताते हैं. यानी यांडेक्स के पास भारी तादाद में डेटा है, जो लोगों के बर्ताव की चुगली करता है.
इस डेटा की मदद से यांडेक्स की आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सेवा अपना विस्तार करती जा रही है.
तो क्या एक वक़्त ऐसा आएगा जब रूस में सिर्फ़ यांडेक्स का राज होगा? निवेशक इस्कंदर गिनियाटुल्लिन ऐसा नहीं मानते.
वो कहते हैं कि तगड़े मुक़ाबले के बाद हो सकता है कि यूबर और यांडेक्स की टैक्सी सेवाएं एक हो जाएं. मगर, यांडेक्स दिन-ब-दिन नए नए क्षेत्रों में विस्तार कर रही है.
ये वो सेक्टर हैं जिन्हें लेकर आईटी दुनिया में बहुत उम्मीदें जगाई गई हैं.
यांडेक्स के इंटरनेशनल डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट से जुड़े रहे एलेक्ज़ेंडर लारियानोवस्की कहते हैं कि, "दुनिया में हर जगह हम ने आईटी कंपनियों का ऐसा विस्तार होता देखा है. या तो आप अपने कारोबार का विस्तार करते जाते हैं. या फिर कटौती करते हैं."
कुछ महीनों पहले ही यांडेक्स ने रूस के पड़ोसी देश लिथुआनिया में टैक्सी सेवाएं शुरू की हैं. इससे पहले इसने दूसरे बाल्टिक देशों लैटविया और एस्तोनिया में भी टैक्सी सेवाएं शुरू की थीं. यांडेक्स उन इलाक़ों में विस्तार कर रही है, जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे.
मज़े की बात ये है कि यांडेक्स, तुर्की में भी कारोबार का विस्तार कर रही है, जबकि तुर्की और रूस के रिश्तों में उठापटक होती रहती है.
लारियानोवस्की कहते हैं कि उन लोगों को बचपन में पढ़ाया गया था कि नए सोवियत संघ ने पहले विश्व युद्ध के बाद के तुर्की की मदद की थी. यानी रूस और तुर्की एक दूसरे को दुश्मन नहीं, ऐतिहासिक रूप से दोस्त मानते आए हैं.
यांडेक्स ने तुर्की के बाज़ार में उस वक़्त क़दम रखा था, जब उसका झुकाव पश्चिमी देशों की तरफ़ था. लेकिन, इसका ये मतलब नहीं था कि रूसी कंपनी, तुर्की का इस्तेमाल पश्चिमी देशों तक पहुंच बनाने के लिए कर रही थी.
आर्केडी वोलोज़ कहते हैं कि उनकी कंपनी, दूसरे सर्च इंजनों से मुक़ाबला करने की सोचती भी नहीं. उनका मानना है कि जब तक कारोबार के नियमों में बदलाव नहीं आता, वो रूस के बाहर कारोबार का विस्तार नहीं करेंगे.
लेकिन, इसका ये मतलब कतई नहीं कि यांडेक्स नए-नए प्रयोग नहीं करेगी.